Micro Palmistry
Micro Palmistry is oriented on Element Palmistry. PhD and Gold Medalist in Vastu Science and Palmistry.
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रविवार, 18 सितंबर 2022
शुक्र पर्वत का शनि पर्वत से रेखा संबंध
शुक्र पर्वत का मध्य भाग्य रेखा से रेखा संबंध
रविवार, 11 सितंबर 2022
शुक्र पर्वत का जीवन रेखा से रेखा संबंध
मंगलवार, 17 जुलाई 2018
हथेली से फलित का तरीका
हथेली से फलित का तरीका
आज मैं सभी मित्रों को हाथ को कैसे फलित करते है उसके तरीके के बारे मे बात करूंगा और जो कुछ वहम चल रहे है हस्तरेखा की दुनिया में उसकी तरफ से आपका ध्यान हटाने की कोशिश करूंगा।
अकसर हथेली को फलित करने के लिए लोगों रेखाओं पे ज्यादा जोर देते है जबकि रेखाओं की उतनी भूमिका नहीं रहती जितना उस पे जोर दिया जाता है हाँ समय समय पे प्रकट हुई सहायक रेखाओं को और टूटी हुई रेखाओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
हाथों को फलित करने के लिए मैंने एक पद्धति बनाई है और उस पद्धति से फलित बहुत सही और सटीक हुआ है और उस पद्धति को आप लोगों को समझाने के लिए उदाहरण के साथ नियमबद्ध किया है जो आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ।
हाथों को फलित करने के लिए इन 9 बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
हाथों का आकार - जलवायु
हाथों का नरमी/सख्ती और रंग - खेत/मिट्टी
अंगुलियाँ और अंगुलियों की छाप- बीज
पोर और नाखून – पानी
अंगुलियों के झुकाव और अंगुलियों के बीच की जगह - पानी
पर्वत - खाद
रेखाये - खाद
शुभ निशान - अच्छे जीवाणु
अशुभ निशान - बुरे जीवाणु
सबसे पहले हाथ का आकार को देखना और समझना जरूरी है और हाथ का आकार जलवायु की तरह काम करता है जिस तरह अच्छी फसल के लिए जैसे अच्छी जलवायु का होना बहुत जरूरी है उसी तरह हाथो का आकार काम करता है और हाथ को देखने के साथ ही सबसे पहले सिर्फ और सिर्फ आकार को समझना चाहिए क्योंकि आकार जातक की प्रकृति के हिसाब से काम करता है।
उसके बाद हथेली का नर्म या सख्त और रंग को देखना और समझना जरूरी है और हथेली का रंग और हथेली का नर्म या सख्त खेत और खेत की मिट्टी की तरह काम करता है, जैसे जलवायु अच्छा है लेकिन खेत और खेत की मिट्टी सही नहीं है तो भी अच्छी फसल नहीं हो सकती है इसलिए हाथो के रंग और उसकी नरमी और सख्ती को समझना बहुत जरूरी है।
उसके बाद हाथो की अंगुलियों को देखना और समझना जरूरी है क्योंकि अंगुलियों बीज की तरह काम करता है और अच्छे बीज से ही अच्छी फसल होगी लेकिन जब जलवायु और मिट्टी अच्छी और अनुकूल होगी, नहीं तो जितनी मर्जी पड़े उतनी मेहनत करले बीज अंकुरित हो सकता है फसल भी आये लेकिन नहीं के बराबर उसी तरह से अंगुलियों का, हथेली के आकार के बाद सबसे ज्यादा महत्व है इसलिये इन्हें समझना बहुत जरूरी है, अंगुलियाँ जातक की प्रकृति में जातक के सोच विचार और काम करने के तरीके की प्रभावित करती है इसलिए अंगुलियाँ, आकार के बाद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
उसके बाद अंगुलियों के पोरो, नाखून, अंगुलियों का झुकाव और अंगुलियों के बीच मे रहने वाली खाली जगह को देखना और समझना जरूरी है क्योंकि अंगुलियों के पोर, नाखून, अंगुलियों के झुकाव और अंगुलियों के बीच की जगह पानी की तरह काम करते है जैसे बिना पानी के कोई भी बीज अंकुरित नहीं हो सकता वैसे ही बिना पोरो, नाखूनो, अंगुलियों के झुकाव और अंगुलियों के बीच की जगह को समझे बिना हस्तरेखा फलित करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
अब नम्बर आता है पर्वतों और रेखाओं का और इन्हें देखना और समझना भी बहुत जरूरी है हाथो के पर्वत और रेखाये खाद की तरह काम करते है जैसे अच्छी खाद अच्छी फसल के लिए जरूरी है वैसे ही पर्वतों और रेखाओं के अच्छा होना अच्छे परिणाम के लिए बहुत जरूरी है।
सबसे अंत में नम्बर आता है शुभ और अशुभ निशानों का और इन्हें देखना और समझना भी बहुत जरूरी है नहीं तो ये निशान परिणाम को कम ज्यादा भी कर सकते है और ये निशान उसी तरह काम करते है जैसे अच्छे जीवाणु और बुरे जीवाणु, अच्छे जीवाणु फसल के लिए लाभदायक है और बुरे जीवाणु फसल के लिए हानिकारक है इसलिए अच्छे और बुरे निशानों को अच्छी तरह देख कर और सोच समझ कर फलित करना चाहिए।
जब आप प्रेक्टिस करेंगे तो आपको ऐसे बहुत से उदाहरण मिलेंगे जिनके हाथो की रेखाओं और पर्वतों में कुछ भी खास नहीं है लेकिन वो जातक अपने रेखाओं और पर्वतों के उलट बहुत तरक्की कर रहा है इसलिए पहले से ही आप सबसे पहले आकार को सबसे पहले समझने और इस पद्धति से हाथ को समझने का प्रयास करें।
इसको और भी आसानी से समझने के लिए हाथो के तीन भाग में बांट कर समझना और उसे फलित करना ज्यादा आसान है पहला भाग हथेली का आकार और दूसरा भाग अंगुलियाँ और तीसरा भाग बाकी बची पूरी हथेली और इन दोनों भागो को अलग अलग समझ कर फिर उसे एक करने की कोशिश करें और उसके बाद फलित करें।
पहला भाग - हथेली का आकार
दूसरा भाग – अंगुलियाँ
तीसरा भाग – बाकी बची पूरी हथेली
हथेली के आकार को समझने के बाद हाथो की दूसरी बाते किस तरह हथेली के परिणाम को प्रभावित करती है उसे नीचे कुछ प्रतिशत के साथ समझाने की कोशिश की है
हाथों का आकार – 100%
हाथों का रंग और नरमी/सख्ती – 10%
अंगुलियाँ और अंगुलियों की छाप- 23%
पोर, नाखून,अंगुलियों के झुकाव और अंगुलियों के बीच की खाली जगह – 7%
पर्वत – 10%
रेखाये – 10%
शुभ निशान – 5%
अशुभ निशान – 5%
जैसे – किसी जातक की हथेली 62% वायु तत्व प्रथम की है उसकी अनामिका अंगुली सबसे बड़ी है तो जातक को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सरकारी नोकरी मिलने की संभावना रहती है।
आकार जातक की प्रकृति को समझाने में मदद करता है और बाकी पूरे हाथ की सभी बातें जातक के हाव – भाव, विचार और काम करने के तरीके को प्रदर्शित करते है इसलिए सबसे पहले आकार को बहुत सटीकता से समझना जरूरी है उसके बाद अंगुलियाँ और उसके बाद पूरे हाथ की अलग अलग बातों को समझना जरूरी है।
जैसे लगभग 90% हाथो में जीवन रेखा गुरु पर्वत के नीचे मंगल पर्वत से शुरू हो कर शुक्र पर्वत पे खत्म होती है, हर्दय रेखा, बुध पर्वत के जड़ से चालू हो कर शनि और गुरु के मध्य खत्म होती है ऐसे ही लगभग सभी रेखाये अपने स्थान पे ही मौजूद होती है तो क्या सभी जातको का जीवन एक जैसा होगा, नही फिर भी सभी के जीवन सब कुछ अलग अलग ही चल रहा है तो ये सब हाथो के आकार, अंगुलियों और दूसरी बातो को गौर करने से समझ आता है।
बुधवार, 11 जुलाई 2018
01 – तत्व हस्तरेखा परिचय
हस्तरेखा शायद दुनिया की भूत, भविष्य और वर्तमान पढ़ने की प्राचीनतम विद्या है इससे हर इंसान से संबंधित बहुत सी बातों का पता लगाया जा सकता है और एक दम सटीक पता लगाया जा सकता है हस्तरेखा से जातक के जीवन से जुड़ी हुई बहुत सी बातों को बहुत ही सुगमता से और सटीकता से पढ़ा जा सकता है जैसे जातक के परिवार के बारे में, जातक के स्वभाव और प्रकृति के बारे में, जातक की पढ़ाई लिखाई, जातक की नोकरी धंधा, जातक के धर्म, अध्यात्म और वास्तु दोषों के विषय में, जातक की शादी, जातक के बीवी बच्चे और जातक का स्वास्थ्य और दुर्घटनाये जैसी ढेरो बातों को अक्षरशः बताया जा सकता है और यहाँ तक जातक की बीमारी, बीमारी का कारण और बीमारी का इलाज भी बताया जा सकता है।
मैं जिस हस्तरेखा की बात कर रहा हूँ वो है तत्व हस्तरेखा, तत्व हस्तरेखा में सारा फलादेश पंचतत्व के आधार पे किया जाता है और तत्व के सटीक सिद्धान्त पे ही ये काम करता है, तत्व हस्तरेखा में तत्वों के सिद्धान्त पे सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है, छोटी से छोटी बात भी सिद्धान्तों के ठोस धरातल पे काम करती है।
तत्व हस्तरेखा की सबसे महत्वपूर्ण बात है उसके उपाय की कारगरता, तत्व हस्तरेखा से परेशानी के जड़ पे पहुंच कर उसके कारणों का पता लगाते है और फिर सटीक तत्व उपाय से परेशानियों को कम और खत्म करने में आसानी देता है।
पंचतत्व
आकाश तत्व
वायु तत्व
अग्नि तत्व
जल तत्व
पृथ्वी तत्व
तत्व हस्तरेखा में हाथ के छोटे से छोटे निशान का, छोटी से छोटी रेखा का सही मतलब, तत्व और फलादेश बताया जाता है और तो और उनसे जन्म लेने वाली कोई परेशानी अगर हो तो उसका भी सटीक तत्व उपाय बताया जाता है।
मैं Dr. Vivek Surana, Bardoli (Surat), तत्व हस्तरेखा में कही गयी एक एक बात मेरा निजी मत है और एक एक सिद्धान्त मेरे शोध और अनुसंधान का परिणाम है, इसलिए कोई भी पाठक अगर मुझे शास्त्रों का, ग्रन्थों का या पुस्तकों का प्रमाण मांगे तो वो मैं कुछ भी नहीं दे पाऊंगा लेकिन तत्व हस्तरेखा की सटीकता को मैंने सेकड़ो बार परखा है और हमेशा ही मैंने इसे सटीक पाया है।
पंचतत्व विज्ञान - घर आंगन में तुलसी
घर आंगन में तुलसी
प्राचीन भारत से ले कर आज तक सनातन परंपरा में तुलसी जी को बहुत महत्व दिया गया है इसलिये भारत के सभी क्षेत्रों में तुलसी जी को घर के आंगन में लगाने उनकी पूजा करने और उनकी साज संवारने की परम्परा रही है
अगस्त्य संहिता में ऐसा कहा गया है कि जिस प्रकार भगवान श्री राम को सीता माता प्यारी है उसी तरह समस्त फूलों और पत्तो से ज्यादा भगवान को तुलसी जी प्यारी है।
और अगर कोई इंसान सिर्फ तुलसी जी को ले कर भगवान विष्णु या श्री राम चन्द्र भगवान की पूजा करे या भगवान को अर्पण करे तो वो इंसान जीवन मृत्यु के चक्कर से छूट जाता है और तो और मरे हुए इंसान के मुह में एक तुलसी जी का पत्ता रख कर उसका दाह संस्कार करने से वो नरक की यातनाओं से छूट जाता है।
और यंहा तक कि तुलसी वन के एक कोश तक की परिमिति को पवित्र और शुद्ध जानना चाहिए।
वेद, पुराण और सनातन शास्त्रों में तुलसी जी के वर्णन से पुस्तके भरी पड़ी है
इसके अलावा तुलसी को आयुर्वेद ने संजीवनी तक कह दिया है और तुलसी जी के गुणगान करते करते आयुर्वेद शास्त्रों की जबान नही थकती है।
जब महऋषि अगस्त्य ने ये कहा कि जंहा तुलसी वन है उसके आस पास एक कोश (यानी 12 km) का जगह पवित्र और शुद्ध हो जाती है तो वंहा की सारी नकारात्मकता खत्म हो जाती है।
आइए इस परंपरा को तत्व विज्ञान के हिसाब से इसके महत्व को और भी ज्यादा मजबुत करते है।
तुलसी जी का सम्बंध तत्व विज्ञान में अग्नि से है और अग्नि समस्त रस और फलों का कारक है और अग्नि के बिना कोई भी रस नही बन सकता है, इसके अलावा जंहा अग्नि की मौजूदगी होगी वंहा आकाश और वायु अपना प्रभाव कभी नही दे पाएंगे इसलिए जब तुलसी जी को आंगन में स्थापित करने से सभी आकाशीय और वायु की शक्तियां अपना कभी प्रभाव नही दे पाएगा।
आकाशीय और वायु की शक्तिओ में अंतरिक्ष राक्षस, भूत - प्रेत, नाकारत्मक शक्तियां और सभी तरह की नकारात्मकता को देखता है।
इसलिए तुलसी जी को भारत के हर क्षेत्र के घर आंगन में लगाने की परंपरा है।
गुरुवार, 26 अप्रैल 2018
01 - तत्व हस्तरेखा - परिचय
हस्तरेखा दुनिया की भूत, भविष्य और वर्तमान पढ़ने की प्राचीनतम विद्या है इससे हर इंसान से संबंधित बहुत सी बातों का पता लगाया जा सकता है और एक दम सटीक पता लगाया जा सकता है हस्तरेखा से जातक के जीवन से जुड़ी हुई बहुत सी बातों को बहुत ही सुगमता से और सटीकता से पढ़ा जा सकता है जैसे जातक के परिवार के बारे में, जातक के स्वभाव और प्रकृति के बारे में, जातक की पढ़ाई लिखाई, जातक की नोकरी धंधा, जातक के धर्म, अध्यात्म और वास्तु दोषों के विषय में, जातक की शादी, जातक के बीवी बच्चे और जातक का स्वास्थ्य और दुर्घटनाये जैसी ढेरो बातों को अक्षरशः बताया जा सकता है और यहाँ तक जातक की बीमारी, बीमारी का कारण और बीमारी का इलाज भी बताया जा सकता है।
और सबसे बड़ी बात हस्तरेखा दुनिया के हर हिस्से में, हर जाति के, सम्प्रदाय के, समाज के, हर धर्म के और हर भाषा के लोग इसे मानते है और इसे पूरे विश्वास से जानते है।
मैं जिस हस्तरेखा की बात कर रहा हूँ वो है तत्व हस्तरेखा, तत्व हस्तरेखा में सारा फलादेश पंचतत्व के आधार पे किया जाता है और तत्व के सटीक सिद्धान्त पे ही ये काम करता है, तत्व हस्तरेखा में तत्वों के सिद्धान्त पे सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है, छोटी से छोटी बात भी सिद्धान्तों के ठोस धरातल पे काम करती है।
तत्व हस्तरेखा की सबसे महत्वपूर्ण बात है उसके उपाय की कारगरता, तत्व हस्तरेखा से परेशानी के जड़ पे पहुंच कर उसके कारणों का पता लगाते है और फिर सटीक तत्व उपाय से परेशानियों को कम और खत्म करने में आसानी देता है।
पंचतत्व
आकाश तत्व
वायु तत्व
अग्नि तत्व
जल तत्व
पृथ्वी तत्व
तत्व हस्तरेखा में हाथ के छोटे से छोटे निशान का, छोटी से छोटी रेखा का सही मतलब, तत्व और फलादेश बताया जाता है और तो और उनसे जन्म लेने वाली कोई परेशानी अगर हो तो उसका भी सटीक तत्व उपाय बताया जाता है।
मैं Dr. Vivek Surana, Bardoli (Surat), तत्व हस्तरेखा में कही गयी एक एक बात मेरा निजी मत है और एक एक सिद्धान्त मेरे शोध और अनुसंधान का परिणाम है, इसलिए कोई भी पाठक अगर मुझे शास्त्रों का, ग्रन्थों का या पुस्तकों का प्रमाण मांगे तो वो मैं कुछ भी नहीं दे पाऊंगा लेकिन तत्व हस्तरेखा की सटीकता को मैंने सेकड़ो बार परखा है और हमेशा ही मैंने इसे सटीक पाया है।